Saturday, October 25, 2008

मैं पागल हूं

मैं पागल हूं, क्योंकि मैं सोचता हूं.. मैं पागल हूं, क्योंकि मैं पूरे समाज को, एक चश्में से देखने की कोशिश करता हूं.. मैं पागल हूं, क्योंकि मैं अंग्रेजी को, अपना सब कुछ मानने वाले समाज में, भी हिंदी बोलना चाहता हूं.. मैं पागल हूं, क्योंकि मैं अपना समय बरबाद होने की चिंता छोड़कर, दूसरों की मदद करना चाहता हूं.. मैं पागल हूं, क्योंकि मैं महाराष्ट्र या गुजरात नहीं, बिहार जाना चाहता हूं.. मैं पागल हूं, क्योंकि मैं किसी जलसे में, किसी के कपड़े फाड़ने के पक्ष में नहीं हूं.. मैं पागल हूं, क्योंकि ऐसे लोगों को दुनिया, पागल ही कहती है.. और मैं खुश हूं, क्योंकि मैं पागल हूं..